आज कि दुनिया
उफ्फ यह दुनिया आजकल यह बात कहने में बिल्कुल भी झिझक नहीं होती कि हम अपने यहां से भटकते जा रहे हैं जी हां इसमें एक शेती भी संदेह नहीं है आजकल लोग असली हुनर की पहचान बनने नहीं देना चाहते हैं बल्कि जो लोग की पहचान है उन्हें और बढ़ावा देते हैं चाहे आप किसी कविता की कवि सम्मेलन की बात कर ले या फिर फिल्मी दुनिया के बात कर ले आज चाचा भतीजावाद जाती पाती के नाम पर असली हुनर को तोड़ दिया जाता है शायद यही वह कारण है जिसके कारण भारत तरक्की की ओर नहीं बढ़ रहा है तरक्की की ओर नहीं बढ़ रहा है तरक्की की ओर नहीं बढ़ रहा है आज वह अवसर है जहां अमीर तो और अमीर होते ही जा रहे हैं बल्कि गरीब और भी गरीब हो रहे हैं इसका श्रेय हम भारत की सरकार या फिर किसी भी एक व्यक्ति को इसका जिम्मेदार नहीं ठहरा सकते जी हां यह कड़वा है मगर सच है इसमें सबका बराबर का बलिदान बराबर का हक है कि हमारे वजह से ही आज सच्चे हुनर को बढ़ावा नहीं मिल रहा है और कुछ कुछ लोग तो मजहब के नाम पर इतने गिर चुके हैं कि अपने मुल्क और पराए मुल्क में फर्क ही भूल गए पता नहीं क्या हो रहा है भारत में कि भारत के बैंकों में क्या कमी रह गई थी कि सलमान खान ने पाकिस्तान से सिंगर बुलवाकर अरिजीत सिंह का गाना शिकवा कर किसी एक पाकिस्तानी से गवा दिया और विनोद राठौड़ कुमार सानू सोनू निगम जैसे कई महान गायक आज विलुप्त होते जा रहे हैं भक्ति गाने दिखाई नहीं पड़ती है कुछ लोग तो इतने गिर चुके हैं कि अपने बाल बच्चे के नाम कुछ अजीबोगरीब विदेशी लुटेरों के नाम पर रख देते हैं और उन्हें एक शर्म नहीं आती और यह और कहीं भारत में हो रहा है क्योंकि पता नहीं क्यों यहां पर लोगों को अपनी सभ्यता से ज्यादा दूसरों की सभ्यता दूसरों का तौर तरीका रीति रिवाज भा रहें हैं। जी मेरा तात्पर्य किसी भी तरीके के सामाजिक सामुदायिक को ठेस पहुंचाना नहीं है लेकिन जो गलत है वह गलत है और मैं एक ब्लॉगर होने के नाते आपको सच्चा और आज की दुनिया से अवगत कराता एक अनुच्छेद प्रस्तुत करना चाहता हूं।
कमाल है भारत के वीर पता नहीं कहां चले गए कि हमें विदेशी अकबर बाबर हुमायूं के बारे में पढ़ना पढ़ना है लगता है कि महाराणा प्रताप और पृथ्वीराज चौहान जैसे लोग विलुप्त हो चुके हैं सरकार के साथ-साथ हमारा भी इसमें यही हमारा सच्चाई से परे कुछ लोग बेधड़क नेपोटिज्म के नारे लगाते हैं तो कुछ लोग सरकार को दोषी मानते मानते देश विरोधी हो जाते हैं और पता भी नहीं चलता गजब और कुछ कुछ तो खास लोग होते हैं ऐसे अपने घर का कूड़ा साफ करते करते बाजू वाले के घर में फेंक देते हैं समझ में नहीं आता क्या चल रहा है भाई स्वच्छता करनी है तो ऐसे करोगे क्या कहने को तो बहुत कुछ है जैसे एक कलाकार जो फेमस हो जाता है उसे लोग तुरंत मानने लगते हैं नए उभरते किसी गरीब घर के सितारे को चमकने नहीं दिया जाता अब आप सुशांत सिंह राजपूत की बात ले लीजिए यह तो रईस फिल्मी दुनिया की बात और ऐसे अनेकों अनेक उदाहरण है उसमें से एक हमारे बिहार के आनंद कुमार जिनको केवल पैसों की वजह से बाहर कैंब्रिज यूनिवर्सिटी में दाखिला प्राप्त नहीं हो पाई थी क्योंकि कुछ लोग की कुर्सी देश की तरक्की से ज्यादा महत्वपूर्ण है रत्ती भर भी संदेह नहीं है इस वाक्य पे। न जाने कितने अनेकों ऐसे उदाहरण होंगे जहां नए कलाकारों की अपने दम पर खड़े होने वाले कलाकारों की कद्र नहीं की जाती यह सिर्फ हमारे देश भारत की बात नहीं है विदेशों में भी अगर बात की जाए तो मोनालिसा नामक एक पेंटिंग है जिसे एक मशहूर पेंटर ने बनाया था लोग जाते हैं उस पेंटिंग की तस्वीर लेते हैं उसे लोग बहुत प्रमोद भी करते हैं लेकिन हमें इससे कोई दिक्कत नहीं है मगर दिक्कत यह है कि फ्रांस के जिस म्यूजियम में यह रखा गया है वह कई सारे कलाकारों की चित्र मौजूद है लेकिन उनकी कोई कदर नहीं करता तू इस ब्लॉग के इस आर्टिकल के माध्यम से मैं आपको बस यही बताना चाहता हूं कि कलाकार बड़ा हो या छोटा हूं अगर वह अपनी कला का प्रदर्शन कर रहा है तो कृपया उसकी कला को देखे उसके हुनर को देखे ना कि कलाकार के चेहरे को देखें।
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